धर्म के ठेकदारों
से , या देश के उन गद्दारों
से ,
मैं पूछ रहा हूँ राजनीती के उन सियासदाओ से …
हम भूखों को क्यूँ तुमने अपना निवाला
बनाया है ???
लोकतंत्र के माथे पर ये कैसा कलंक लगाया है
???
धर्मवाद ,क्षेत्रवाद , भाषावाद में बाँट दिया
अपने वादों में तो तुमने “वाद” का ही तो साथ दिया
हिंदी उर्दू दोनों ही तो एक माँ की ही बेटी है
हिन्द के हिंदी पर तुमने ये कैसा अघात दिया
भारत माँ भी सिसक रही है ,कैसा ये दिन आया है ???
लोकतंत्र के माथे पर ये कैसा कलंक लगाया है
???
पुरषों में उत्तम तुमने राम का जो अपमान किया
एक माँ पे लांछन लगा
, अपने कौम को भी बदनाम किया
अमन चैन बस रहे हमेशा, इस्लाम का तो येही पैगाम है
तुमने तो अपनी जुबां से बस नफ़रत का ही काम किया
सुनो " ओवैसी
" हिंदी हैं हम ,हिंदोस्तां का नारा है
हर बार गले मिलकर हमने नफ़रत
को ललकारा है
राम - रहीम की इस धरती पर , ये
कैसा विष फैलाया
है
लोकतंत्र के माथे पर ये कैसा कलंक लगाया है
???